नामांकन के बाद रुदौली में साफ हुई चुनावी तस्वीर
भेलसर(अयोध्या)समाजवादी पार्टी की आंतरिक कलह और लंबी खींचतान के बाद अंततः आनंद सेन यादव ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में रुदौली विधानसभा से नामांकन किया उनके सामने भारतीय जनता पार्टी से दो बार विधायक रहे रामचंद्र यादव जहां कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं वही अपनी शालीनता और सौम्यता,सभ्यता के लिए जाने जाने वाले अब्बास अली जैदी रूश्दी मियां नेआखिरी क्षण में बहुजन समाज पार्टी से टिकट लेकर नामांकन दाखिल कर सबको चौंका दिया। राजनीतिक पंडितों ने भी इस पर आश्चर्य व्यक्त किया है।
बताते चलें कि रूदौली में सबसे अधिक दलित और मुस्लिम मतदाता ही हैं यदि रुश्दी मियां दलित और मुस्लिम कंबीनेशन के अलावा अपने अन्य पिछड़ा, सामान्य ज़ाती वोटों को अपने साथ जोड़ने में सफल होते हैं तो रुदौली में बसपा का खाता खुलने से इंकार नहीं किया जा सकता है।वही राजनीति के अन्य दोनों धुरंधरों के लिए कड़ी चुनौती पेश हो सकती है वैसे रामचंद्र यादव के सेटिंग विधायक हैं और उनका एक अपना अलग जनाधार है हर जाति वर्ग में उनके समर्थक मौजूद हैं लेकिन यह भी कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भारतीय जनता पार्टी में ही उनके विरोधियों की भरमार है।ब्लाक प्रमुख सरबजीत सिंह के खेमे द्वारा लगातार उनके विरोध पर की चर्चाएं हैं।इसी तरह की चर्चाएं दूसरे ब्लॉक प्रमुख और पार्टी के अन्य नेताओं की ओर से भी देखने को मिल रही है। भाजपाईयों की नाराजगी और धुरंधरों का ध्रुवीकरण रुश्दी मियां के पक्ष में हुआ तो उनका चुनाव सबसे मजबूत हो जाएगा।अब तक निर्णायक भूमिका में रहे यादव मतदाता इस बार गुटों में बंटे हुए नजर आएंगे क्योंकि मित्र सेन यादव के मानने वाले रुदौली में कम नहीं है और आनंद सेन यादव की भी अपनी रुदौली में जमीन है जहां से लोकसभा चुनाव में उन्होंने अच्छा मत प्राप्त किया था लेकिन लोक सभा चुनाव के बाद रुदौली क्षेत्र में उनका न आना उनको नुक्सान पहुंचा सकता है।वैसे रुदौली के चुनाव में स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा भी गरमा रहा है।अब देखना होगा कि 10 मार्च को नतीजे क्या आते हैं।