गर्मी से जल्द मिल सकती है राहत, अब शुरू हो गया मानसून का काउंटडाउन
गर्मी का रिकार्ड टूटने के बाद मई माह में भी तापमान तेजी से बढ़ रहा है ऐसे में राहत के लिए मानसून पर निगाहें टिक गई हैं। मौसम विज्ञानी तय समय पर ही मानसून आने की बात कह रहे हैं और इस बार भी सामान्य बारिश की उम्मीद जताई है।
गर्मी से राहत के लिए मानसून का इंतजार
कानपुर। मार्च और अप्रैल महीने में पड़ने वाली गर्मी का 121 साल का रिकार्ड टूटने के बाद मई के शुरुआत में मौसम ने कुछ राहत दी लेकिन कर्क रेखा की परिधि में यूपी का मध्य भाग आने से फिर सूरज के तेवर तल्ख हुए। भीषण गर्मी के बीच अब नजरें मानसून की ओर टिक गई हैं और उसके आने का इंतजार शुरू हो गया है। मौसम विभाग की मानें तो फिलहाल गर्मी से राहत मिलती नजर नहीं आ रही है, मानसून भी अपने तय समय पर ही यूपी में दस्तक देने को बेकरार हो रहा है। मौसम विज्ञानियों ने 20 जून तक कानपुर समेत यूपी में मानसून आने की संभावना जताई है। इसके बाद ही लोगों को गर्मी से राहत मिल सकती है।
जून के मध्य में आ सकता है मानसून
कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डॉ सुनील कुमार पांडेय का कहना है कि इस बार भी मानसूनी गतिविधियां पूर्व के वर्षों की तरह ही हैं और यूपी मानसून अपने तय समय जून के मध्य में आ सकता है। उन्होंने बताया कि इस साल देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य रहने की संभावना है। आईएमडी ने दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के लिए 1971-2020 (अवधि) के आधार पर भारत में 868.6 मिलीमीटर वर्षा होने की संभावना जताई है। भारत के उत्तरी भाग, मध्य भारत, हिमालय की तलहटी और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सूर्य धीरे-धीरे उत्तरायण होने लगता है और जून अाने तक कर्क रेखा के ऊपर पहुंच जाता है। इसके बाद मानसूनी गतिविधियां तेज हो जाती है। इस बार भी एक जून को मानसून केरल के मालाबार तट पर वर्षा कर सकता है और फिर बढ़ता हुआ 21 जून तक यूपी में दस्तक दे सकता है।
सामान्य बारिश लेकिन नुकसानदेह : डॉ. सुनील पांडेय बताते हैं कि बीते कुछ वर्षों से बारिश अच्छी हो रही है लेकिन फसलों के लिए नुकसानदेह बन रही है। उनका कहना है कि बारिश धीमी गति से एक सप्ताह तक न होकर एक या दो दिन में मूसलाधार होती है। एक या दो दिन तेज बारिश से खेतों में पानी भर जाता है और फिर निकल जाता है। इसके बाद पंद्रह दिन से एक माह तक बारिश नहीं होती है, इससे फिर मिट्टी और फसल सूख जाती है। इस तरह की बारिश फसलों के लिए फायदेमंद नहीं रहती है। इस बारिश से जमीन के अंदर तक नमी नहीं पहुंचने से रीचार्ज सिस्टम भी काम नहीं करता है। इस बार भी आईएमडी ने बारिश रुक-रुक कर होने की संभावना जताई है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान फसलों को होगा। पहले कई कई दिन तक लगातार बारिश होने से गर्मी से राहत मिलने के साथ फसलों को भी फायदा होता था।
क्या होता है मानूसन सिस्टम
मानसून दो तरफ से आता है, पहला केरल और दूसरा बंगाल की खाड़ी की ओर से। मानसून आने की शुरुआत में सबसे पहले केरल के मालाबार तट पर वर्षा होती है। यहां से गुजरात से लेकर कन्याकुमारी तक बारिश करता है फिर राजस्थान में प्रवेश करके अरवाली श्रेणी की चोटी से टकराकर वर्षा करता है। इसके बाद बढ़कर मध्य भारत में यूपी तक आने की संभावना बन जाती है। वहीं दक्षिण-पश्चिम मानसून की बंगाल की खाड़ी शाखा पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है और कोलकाता से होते हुए उत्तर भारत के मैदानी इलाके में प्रवेश करके पटना, इलाहाबाद, कानपुर होते हुए दिल्ली तक जाता है। दिल्ली से पश्चिम की तरफ जाकर ये मानसून बारिश नहीं कर पाता है।
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