-ट्रस्ट व निर्माण समिति ने कार्ययोजना पर किया मंथन
अयोध्या। गर्भ गृह पर भव्य राम मंदिर निर्माण के कवायद में जुटी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने निर्माण को लेकर 30 फीसदी कार्य पूरा कर लिया है। ट्रस्ट का लक्ष्य दिसम्बर 23 तक हर हाल में नवनिर्मित राममंदिर में राम लला के विग्रह को प्राण प्रतिष्ठित करने की है इसके लिए अवशेष 70 फीसदी का को पूरा करने के लिए चरणबद्ध खाका खींचा गया है।
रूटीन के मुताबिक इस माह भी निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र अयोध्या दौरे पर हैं। राम मंदिर निर्माण को लेकर उन्होंने विगत दिनों में ट्रस्ट और कार्यदायी संस्था तथा परामर्शदात्री संस्था और विशेषज्ञों से अब तक के निर्माण कार्य की प्रगति रिपोर्ट ली है और निर्माण कार्य का जायजा लिया। परिसर के विश्वामित्र मंदिर में उन्होंने बैठक कर विस्तार से चर्चा भी की। अंतिम दिन आज मंगलवार को सर्किट हाउस में ट्रस्ट के पदाधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में कुल 15 पदाधिकारियों में से 10 मौजूद रहे जबकि ट्रस्ट के अध्यक्ष समेत चार पदाधिकारी वर्चुअल माध्यम से बैठक में शामिल हुए।
बैठक के बावत जानकारी देते हुए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि ट्रस्ट का फोकस दिसम्बर 23 तक नवनिर्मित राम मंदिर के गर्भ गृह में राम लला के स्थापना का लक्ष्य को हर हाल में हासिल करने का लक्ष्य है। इसको लेकर बैठक में टाइम प्लान पर विस्तार से चर्चा की गयी साथ ही पदाधिकारियों को वित्तीय वर्ष 2020-2021 के आडिट रिपोर्ट और रिटर्न दाखिल किये जाने की जानकारी दी गयी। पदाधिकारियों ने परिसर में राम लला के अलावा महर्षि बाल्मीकि, माता शबरी, निषादराज, जटायु, माता सीता और विघ्रविनाशक गणेश का मंदिर बनाने का निर्णय लिया है। साथ ही गर्भगृह में स्थापित होने वाला राम लला का विग्रह किस धातु का हो और काला हो सफेद अथवा शालीग्राम के ग्रे कलर का इस पर निर्णय के लिए संत धर्माचार्यों से विचार विमर्श को कहा है। गर्भ गृह में मूर्ति तो राम लला की बालरूप की ही लगनी है।
ट्रस्ट महासचिव ने बताया कि वरिष्ठ अधिवक्ता और सदस्य के पराशरण कई बार माता सीता का मंदिर बनाने की बात कह चुक हैं। माता सीता शक्ति ही नहीं आदर्श की भी प्रतीक हैं।
अयोध्या में श्री राम के अनन्य सेवक हनुमान के बड़ा और पौराणिक मंदिर हनुमानगढ़ी है लेकिन मंदिरों में तो गणेश की मूर्तियां हैं मगर विघ्र विनाशक और शुभ कार्यों का प्रतीक गणेश का कोई मंदिर नहीं है। जल्द ही ये मंदिर परिसर में बनवाये जायेंगे। उन्होंने बताया कि बैठक में रिटेनिंग वाल के निर्माण चबूतरे के निर्माण और निर्माण के दौरान आवश्यक वस्तुओं तथा उनकी उपलब्धता पर भी चर्चा हुई। राजस्थान से पत्थरों की उपलब्धता का मार्ग सुनिश्चित हो गया है। भारत और राजस्थान सरकार ने मिलकर कानूनी बाधाओं को दूर कर दिया है इससे राजस्थान सरकार को हजारों करोड़ रूपये की आय होगाी।
बैठक में राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र, ट्रस्ट सदस्य डा. अनिल मिश्र, महंथ दिनेन्द्र दास, विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र समेत अन्य मौजूद रहे।